BREKING NEWS : रविवार को पंडित दीनदयाल मांगलिक भवन परिसर रामानुजगंज में आज से शुरु हो रहे तीन नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु पुलिस विभाग द्वारा अधिकारी-कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया गया। ब्रिटिश काल में बनाए गए भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह इन तीनों नए प्रावधानों को लाया गया है।
BREKING NEWS :आज से लागू होगा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023
इस प्रशिक्षण शिविर में कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी रिभिजियुस एक्का ने नवीन आपराधिक कानूनों के संबंध में बताया कि इनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जिले के सभी अनुविभागों के थाना क्षेत्र में उस क्षेत्र के अनुविभागीय दंडाधिकारियों को तहसील स्तर पर प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस कानून के संबंध में तिथिवार चिन्हित स्थान, शिक्षण संस्थानों, हाट-बाजारों या अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर लोगों को नवीन कानून की जानकारी दी जा सकती है, वरिष्ठ पुलिस कप्तान डा. लाल उमेद सिंह ने बताया कि दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 को लागू किया गया है। जिसे 20 दिसंबर 2023 को लोकसभा द्वारा एवं 21 दिसंबर 2023 को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया एवं 25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त हुई जिसके पश्चात् भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया गया।
उन्होंने बताया कि सीआरपीसी में पहले 484 ।। रायें थी इसकी जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में 531 ॥ रायें होंगी, इसमें 177 धाराओं में बदलाव किया गया है, जिसमें 9 नयी धारायें, 39 नये सबसेक्शन, 44 नये प्रोवीजन व स्पष्टीकरण, 35 सेक्शन में टाइमलाइन और 14 धाराओं को निरस्त कर हटाया गया है। डॉ. सिंह ने बताया कि प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में समय का निर्धारण किया गया है। पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए है।
विशेषकर आपराधिक मामलों में तलाशी एवं जब्ती के दौरान फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी अनिवार्य रूप से की जाएगी। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2024 से कानून लागू होने के बाद कोई भी अपराध होने पर नये कानून के अंतर्गत घटना या लिए न्याय व्यवस्था के लिए यह व्यवस्था की गई है कि निर्धारित समय में उनका निराकरण हो सके। इसके अलावे प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंकज अलोक तिर्की, प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश डा मनोज कुमार प्रजापति, द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश श्रीकांत श्रीवास, न्यायिक मजिस्ट्रेट शास्वत दुबे, सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण लोकेश कुमार, जिला अधिवक्ता अध्यक्ष अनुप तिवारी ने नवीन आपराधिक कानूनों के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की।
किसी भी थाने में दर्ज कराया जा सकता है जीरो एफआईआर
वरिष्ठ पुलिस कप्तान डॉ. सिंह ने बताया कि पुलिस एवं न्यायालय के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फोरेंसिक रिपोर्ट समय पर देना होगा। इसमें पीड़ित पक्ष, आरोपी पक्ष सभी को फायदा होगा। उन्होंने जीरो-एफआईआर के संबंध में बताया कि पहले प्रार्थी को संबंधित थाने में ही एफआईआर दर्ज करनी होती थी, लेकिन अब जीरो एफआईआर के तहत प्रार्थी को बड़ी सुविधा प्रदान की गई है अब प्रार्थी किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज करा सकता है। इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि नयी भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता के अनुसार विशेषकर महिलाओं एवं बच्चों के विरोध में होने वाले अपराधों को कम करने के लिए कई नियम बनाए गए है। महिला अपराधी की विवेचना महिला पुलिसकर्मी द्वारा की जाएगी